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Sunday, 26 June 2011

मेरी विनम्रता लगे दीनता,


अपनी बाइक  को  कहें  पुष्पक,  मेरी कार   सरकारी परिवहन |

उनकी मदिरा कहलाये सोमरस, मेरा प्याज भी खाना दुर्व्यसन |

मेरा  आदर-भाव  लगे  चापलूसी, उनकी  हिकारत  भी  नमन |

मेरे  चुटकुले  करें  बदतमीजी, उनका  क़त्ल करना  भी टशन |

मेरी ठिठोली गम्भीर छेड़-छाड़, उनका व्यभिचार भी बड़प्पन |

मेरी  पूजा    लगे  ढकोसला,   उधर  गालियों  से  हो  प्रवचन |

मेरे  चूल्हे से  फैले  प्रदूषण, उनकी  चिता  भी  जले तो हवन |

अफवाह उड़े तो तेज तूफ़ान, उनका तहलका भी शीतल पवन |

मेरी विनम्रता   लगे दीनता,   बोल्डनेस है   उनका अकड़पन |

मेरी  हकीकत  होती  घमंड , उनके  कमीनेपन में  भी  वजन ||

 

3 comments:

  1. behtareen ! kya piroya hai shabdo ko
    maza aa gaya padhkar

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  2. वाह ..बहुत खूब कहा है ।

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  3. बहुत खूब ... पर ऐसा इसलिए .. वो वो है और आप आप हैं ...

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