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Friday 26 August 2011

बाबा रामदेव के अनशन पर हमला

            (पुरानी-रचना)

कोठर  में  सोई  गौरैया ,  
मार  झपट्टा  बाज  उठाये |
बिन प्रतिरोध सभी चूजों को , 
वो अपना आहार बनाए ||



पाण्डव  के  बच्चे  सोये  थे,  
अश्वस्थामा  महाकुकर्मी  |
गला रेत कर, बहुतै खुश हो, 
दुर्योधन को खबर सुनाये || 


उस भारत की दुखती घटना, 
नव-भारत फिर से दोहराए--
राम की लीला से घबरा कर, 
आत्मघात हित कदम उठाये ||


पागल सा भटकेगा शापित, 
जन्म से शोभित मणि छिनाये--
सदा  खून   माथे   से   बहता,  
अश्वस्थामा  नजर  चुराए  || 

Thursday 4 August 2011

रक्त-कोष की पहरेदारी--

चालबाज, ठग, धूर्तराज   सब,   पकडे   बैठे   डाली - डाली |

आज बाज को काज मिला जो करता चिड़ियों की रखवाली |


दुग्ध-केंद्र मे धामिन ने जब, सब गायों पर छान्द लगाया |
मगरमच्छ ने  अपनी हद में,  मत्स्य-केंद्र  मंजूर  कराया ||            


महाघुटाले - बाजों   ने   ली,  जब तिहाड़ की जिम्मेदारी |
जल्लादों ने झपटी झट से, मठ-मंदिर की कुल मुख्तारी||


अंग-रक्षकों  ने  मालिक  की  ले ली  जब से मौत-सुपारी |
लुटती  राहें,   करता  रहबर  उस  रहजन  की  ताबेदारी  ||


शीत - घरों  के  बोरों  की  रखवाली  चूहों  का  अधिकार |
भले - राम   की   नैया   खेवें,  टुंडे - मुंडे   बिन   पतवार ||


तिलचट्टों ने तेल कुओं पर, अपनी कुत्सित नजर गढ़ाई |
तो रक्त-कोष  की  पहरेदारी,  नर-पिशाच के जिम्मे  आई |