(पुरानी-रचना)
कोठर में सोई गौरैया ,
मार झपट्टा बाज उठाये |
कोठर में सोई गौरैया ,
मार झपट्टा बाज उठाये |
बिन प्रतिरोध सभी चूजों को ,
वो अपना आहार बनाए ||
वो अपना आहार बनाए ||
पाण्डव के बच्चे सोये थे,
अश्वस्थामा महाकुकर्मी |
अश्वस्थामा महाकुकर्मी |
गला रेत कर, बहुतै खुश हो,
दुर्योधन को खबर सुनाये ||
उस भारत की दुखती घटना,
नव-भारत फिर से दोहराए--
नव-भारत फिर से दोहराए--
राम की लीला से घबरा कर,
आत्मघात हित कदम उठाये ||
आत्मघात हित कदम उठाये ||
पागल सा भटकेगा शापित,
जन्म से शोभित मणि छिनाये--
जन्म से शोभित मणि छिनाये--
सदा खून माथे से बहता,
अश्वस्थामा नजर चुराए ||
अश्वस्थामा नजर चुराए ||