चालबाज, ठग, धूर्तराज सब, पकडे बैठे डाली - डाली |
आज बाज को काज मिला जो करता चिड़ियों की रखवाली |
दुग्ध-केंद्र मे धामिन ने जब, सब गायों पर छान्द लगाया |
मगरमच्छ ने अपनी हद में, मत्स्य-केंद्र मंजूर कराया ||
महाघुटाले - बाजों ने ली, जब तिहाड़ की जिम्मेदारी |
जल्लादों ने झपटी झट से, मठ-मंदिर की कुल मुख्तारी||
अंग-रक्षकों ने मालिक की ले ली जब से मौत-सुपारी |
महाघुटाले - बाजों ने ली, जब तिहाड़ की जिम्मेदारी |
जल्लादों ने झपटी झट से, मठ-मंदिर की कुल मुख्तारी||
अंग-रक्षकों ने मालिक की ले ली जब से मौत-सुपारी |
लुटती राहें, करता रहबर उस रहजन की ताबेदारी ||
शीत - घरों के बोरों की रखवाली चूहों का अधिकार |
शीत - घरों के बोरों की रखवाली चूहों का अधिकार |
भले - राम की नैया खेवें, टुंडे - मुंडे बिन पतवार ||
तिलचट्टों ने तेल कुओं पर, अपनी कुत्सित नजर गढ़ाई |
महाघुटाले - बाजों ने ली, जब तिहाड़ की जिम्मेदारी |
ReplyDeleteजल्लादों ने झपटी झट से, मठ-मंदिर की कुल मुख्तारी||
बहुत बढ़िया .....
तुलसी के पत्ते सूखे हैं ,और कैक्टस आज हरें हैं ,
ReplyDeleteआज राम को भूख लगी है ,रावण ,के भण्डार भरें हैं .अनायास ये पंक्तियाँ याद आ गईं और यह भी -अभी तो कोयलों में काग बहुत बाकी है ,अभी कुछ और करो ....
बहुत सामयिक और अपने समय की गुहार है यह खूबसूरत ग़ज़ल आप कि ,आपकी ही तरह .
क्या ब्बात है रविकर जी...
ReplyDeleteमज़ा आ गया...
सादर..
काहे को भाजी बिदेश रे सुन दुर्मुख मेरे -
ReplyDeleteक्या बात है रविकर जी छा जातें हैं आप -भले राम की नैया खेवें ,टुंडे -मुंडे बिन पतवार .
आगएं हैं कुंवर साहब कोंग्रेस प्रेसिडेंट बनके ,एक दुर्मुख दूसरा मंद मति बालक ,राम मिलाई जोड़ी एक ...
सटीक अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
वाह .. कैसे कैसे बिम्ब प्रयोग किए हैं इस रचना में ... गज़ब दिनेश जी ...
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