(पुरानी-रचना)
कोठर में सोई गौरैया ,
मार झपट्टा बाज उठाये |
कोठर में सोई गौरैया ,
मार झपट्टा बाज उठाये |
बिन प्रतिरोध सभी चूजों को ,
वो अपना आहार बनाए ||
वो अपना आहार बनाए ||
पाण्डव के बच्चे सोये थे,
अश्वस्थामा महाकुकर्मी |
अश्वस्थामा महाकुकर्मी |
गला रेत कर, बहुतै खुश हो,
दुर्योधन को खबर सुनाये ||
उस भारत की दुखती घटना,
नव-भारत फिर से दोहराए--
नव-भारत फिर से दोहराए--
राम की लीला से घबरा कर,
आत्मघात हित कदम उठाये ||
आत्मघात हित कदम उठाये ||
पागल सा भटकेगा शापित,
जन्म से शोभित मणि छिनाये--
जन्म से शोभित मणि छिनाये--
सदा खून माथे से बहता,
अश्वस्थामा नजर चुराए ||
अश्वस्थामा नजर चुराए ||
उस भारत की दुखती घटना,
ReplyDeleteनव-भारत फिर से दोहराए--
राम की लीला से घबरा कर,
आत्मघात हित कदम उठाये ||
बहुत अच्छा लगा...... आभार
bahut hi achha lage bhaw
ReplyDeleteउस भारत की दुखती घटना,
ReplyDeleteनव-भारत फिर से दोहराए--
राम की लीला से घबरा कर,
आत्मघात हित कदम उठाये ||
लगता है सरकार को समझ आ गयी इस बार उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया... सुंदर रचना !
स्त २०११
ReplyDeleteक्या यही है संसद की सर्वोच्चता ?
जहां अध्यक्ष लाचार है ,बारहा कह रहा है हाथ जोड़ कर "बैठ जाइए ,बैठ जाइए "और वक्ता मानसिक रूप से बीमार है .शेष सांसद मानो बंधक बने बैठे हों ,और वक्ता हर वाक्य के अंत में "हप्प हप्प "करता हो ,चेहरे को गोल गोल बनाके इधर उधर घुमाता हो .उपहासात्मक मुख मुद्रा बनाए हुए .दो तरह का भाव होता है वक्ता का एक संवेगात्मक और एक एहंकार का .यहाँ कायिक मुद्रा में भी दंभ है प्रपंच है .क्या यही है -"संसद की सर्वोच्चता "?जो लोग संसद में ,मर्यादा बनाके नहीं रख सकते,ठीक से खड़े नहीं हो सकते , वही लोग संसद के बाहर "विशेषाधिकार हनन की बात करतें हैं .
जय अन्ना !जय भारत !जय किरण बेदी जी ....जय! जय !जय
विशेषधिकार की बात करने वालों से दो टूक .
आज संसद के विशेषाधिकार हनन की तलवार -ए - तोहमत माननीय किरण बेदी पर लटकाने वाले,ॐ पुरी पे गुस्साए हमारे सांसद, उस वक्त कहाँ थे जब कोंग्रेस के एक प्राधिकृत प्रवक्ता ने भारत की संसद को आतंक के साए में रखने वाले विश्व के सबसे खूंखार दहशद गर्द (आतंकवादी ) "ओसामा बिन लादेन "को ओसामा बिन जी कहकर उनके इस्लामिक रीति -रिवाज़ से सुपुर्दे ख़ाक करने की हिदायत ओबामा साहब को दी थी .कहा था सुपुर्दे ख़ाक सबको आदर पूर्वक किया जाना चाहिए ।
ये ज़नाब उनका मकबरा बनवाकर उस स्थान को क्या मदीना बनवाना चाहते थे ?
Wednesday, August 31, 2011
ReplyDeleteनाट्य रूपांतरण किया है किरण बेदी ने .;
मंगलवार, ३० अगस्त २०११
नाट्य रूपांतरण किया है किरण बेदी ने .;
किरण बेदी जी ने जो कुछ कहा है वह महज़ नाट्य -रूपांतरण हैं उस जनभावना का जो भारतीय राजनीति के प्रति जन मन में मौजूद है .दृश्य की प्रस्तुति उनकी है .संवाद श्री ॐ पुरी जी के हैं ।
किरण ने घूंघट की ओढनी की ओट से जो कुछ कहा है वह सर्वथा भारतीय नारी की मर्यादा के अनुरूप है ,उपालम्भ शैली में है ।
पुरी सम्पूर्ण पुरुष है ,अपनी प्रकृति स्वभाव के अनुरूप कहा है जो कुछ कहा है .कहा किरण जी ने भी वही है .बस पुरुष और नारी के स्वभाव का सहज अंतर है यह ।
अनुपम खैर जैसी अजीमतर शख्शियत ने पुरी के वक्तव्य पर मोहर लगाते हुए कहा है -आम भारतीय घर में यही सब बोला जाता है इनसंसदीय - तोतों के बारे में जो विशेषाधिकार हनन की बात कर रहें हैं ।
बुलाये संसद और राज्य सभा की विशेषाधिकार समिति टीम अन्ना को ,ॐ जी को ,दस लाख लोग आजायेंगे उनके पीछे पीछे .इनकेसाथ अपने तोता पंडित वीरुभाई और वागीश जी भी होंगें .बेहतर हो डिब्बे का दूध पीने वाले जन भावनाओं के साथ खिलवाड़ न करें .आदर दे जन मन को ,जन -आक्रोश को इसी में भली है ।
DO YOU KNOW :Infants need daily exercise
एक ब्रितानी अध्ययन ने इंगित किया है नौनिहालों के लिए भी कसरत करना ज़रूरी है भले वह अभी "मैयां मैयां ठुमक ठुमक चलना न सीख पायें हों .कोईछूट नहीं दी जा सकती इन नौनिहालों को ,शिशुओं को कसरत से .
माँ बाप को यह सुनिश्चित करना चाहिए उनका १-५ साला नन्द लाल और राधायें कम से कम दिन भर में तीन घंटा ज़रूर सक्रिय रहें .
दो साल से नीचे की उम्र के शिशुओं को कदापि टेलिविज़न (बुद्धू बक्से )या फिर कंप्यूटर के सामने न बिठाएं .