टुकड़े-टुकड़े था हुआ, सारा बड़ा कुटुम्ब,
पाक, बांगला ब्रह्म बन, लंका से जल-खुम्ब ||
(मेरा बड़ा परिवार बाबा, परबाबा के भाइयों बीच बँटना शुरू हो गया था )
( प्राचीन अखंड भारत खंड-खंड हो गया था)
अब घर छत्तीसगढ़ हुआ, चंडीगढ़ था यार,
(मेरा बड़ा परिवार बाबा, परबाबा के भाइयों बीच बँटना शुरू हो गया था )
( प्राचीन अखंड भारत खंड-खंड हो गया था)
अब घर छत्तीसगढ़ हुआ, चंडीगढ़ था यार,
पांडिचेरी बन गया, बिखरा घर-परिवार ||
(पत्नी के साथ ३६ का रिश्ता हुआ )--( जैसे पांडिचेरी कई टुकडो में, कई राज्यों में फैला है, वैसे ही हम धनबाद झारखण्ड में, बेटा आबुधाबी में, बड़ी बेटी त्रिवेंद्रम केरल में इंजिनियर हैं और छोटी बेटी झाँसी, यू पी में B Tech कर रही है | पैत्रिक निवास फैजाबाद )
(पत्नी के साथ ३६ का रिश्ता हुआ )--( जैसे पांडिचेरी कई टुकडो में, कई राज्यों में फैला है, वैसे ही हम धनबाद झारखण्ड में, बेटा आबुधाबी में, बड़ी बेटी त्रिवेंद्रम केरल में इंजिनियर हैं और छोटी बेटी झाँसी, यू पी में B Tech कर रही है | पैत्रिक निवास फैजाबाद )
झारखण्ड बन जिन्दगी, हृदय में उगते शूल,
खनिज सम्पदा से भरा, बाढ़े झाड़ बबूल ||
(नक्सल विचार )
नैनों के सैलाब से, कोसी करती रोष,
नैनों के सैलाब से, कोसी करती रोष,
बाढ़ प्रबन्धन में बहा, सब विहार का कोष ||
(आंसुओं में सब बह गया )
घोर उड़ीसा हो गया, सूख-साख जल स्रोत्र,
पानी की खातिर करूँ, मान-मनौवल होत्र ||
(सम्मान के लिए मान-मनौवल )
काश्मीर किस्मत हुई, डाका डाले पाक,
ख़त्म हुई इज्जत गई, बन जम्मू-लद्दाक ||
(J & K में केवल घाटी की ही इज्जत / मोहल्ले में केवल उनकी )
बादल सा दिल फट गया, बहा उत्तराखंड,
हुआ नहीं बर्दाश्त फिर, दिल्ली का पाखण्ड ||
(बादल फटने के बाद हुई तबाही, हाई-कमान केवल पाखण्ड करे )
उम्मीदी गुजरात की, आस्था का आगार |
माँ शेरावाली करे , मेरा बेडा पार ||
(सुख-समृद्धि सम्पन्नता और शान्ति)महाराष्ट्र का राज भी, मचा रहा आतंक,
तन्हाई अंडमान की, जोर से मारे डंक ||
(राज दार / अकेलापन )
तेलंगाना हो गया, सारा मध्य प्रदेश,
आंध्रा में फैले सदा, ईर्ष्या सह विद्वेष ||
(मारकाट / भूख-प्यास और ससुराल में बुराई )
(मारकाट / भूख-प्यास और ससुराल में बुराई )
तमिलनाडु अम्मा चली, बाबू का करुणांत |
कर-नाटक का खात्मा, लड़ते संत-महंत ||
(सास तीर्थयात्रा, बाबु जी स्वर्ग ) (समस्या-समाधान के लिए टोना-टटका, पूजा पाठ)
हरियाणा-पंजाब हो, गुजर रही है शाम,
अरुणाचल के उदय से, होगा सम आसाम ||
(दारुबाज दोस्तों का साथ) (नई सुबह ----समाधान )
केरल के साहचर्य से, यूपी के उत्पात,
बंद हो सकेंगे सभी, घातों के प्रतिघात ||
(पढ़े-लिखे समझदार) (नोंक-झोंक)
अब तो बस इन्तजार है, संस्कृति हो बंगाल,
काट-पीट कर फेंक दे, वैमनस्य के जाल ||
(रास-रंग, बेहतर समझबूझ) (कूटनीतिक परिदृश्य )
देह हमारी हो गई, पूरी राजस्थान,
हरियाली अब कर सके, गंगा का वरदान ||
( विषम परिस्थिति )
( विषम परिस्थिति )
जल्दी गोवा बनेगी, लक्षद्वीप की रेत,
मणि-मेघा-सिक्किम-दमन, त्रिपुरा-लैंड समेत ||
इसे कहते है सौ सुनार की एक लौहार की,
ReplyDeleteअच्छा लगा आपकी रचना पढकर,मेरे ब्लॉग आकर जो मेरा उत्साह,मनोबल बढाया,शुक्रिया धन्यबाद....
ReplyDeletekaash sare log ise padhen aur samjhen
ReplyDeleteबहुत सुंदर और अभिनव प्रस्तुति ! सारे देश का भ्रमण करा दिया आपकी कविता ने.
ReplyDeleteअत्यंत सुन्दर रचना है....... अनेकानेक मुद्दों को बड़ी ही ख़ूबसूरती से उठाया है आपने.....
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति .
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