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Sunday, 11 September 2011

खींचो खुदकी रेख, कहाँ ले खींचे लक्ष्मण

File:Ravi Varma-Ravana Sita Jathayu.jpgलक्ष्मण रेखा लांघती, लिए हथेली जान 
बीस निगाहें घूरती, खुद रावण पहचान 



खुद रावण पहचान, नहीं ये तृण से डरता
मर्यादा  को  भूल, हवस बस पूरी  करता 




संगीता की सीख, ठीक पहचानो रावण

खींचो खुदकी रेख, कहाँ ले खींचे लक्ष्मण

8 comments:

  1. रविकर भाई, बहुत ही सही और सार्थक बात आपने कविता के माध्‍य से हम तक पहुंचाई है। आभार।

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    क्‍यों डराती है पुलिस ?
    घर जाने को सूर्पनखा जी, माँग रहा हूँ भिक्षा।

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  2. वाह ! बहुत सुंदर !

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  3. संदार्भानुकुल सार्थक कुंडलिया...
    बहुत खूब...
    सादर...

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  4. अफवाह फैलाना नहीं है वकील का काम .
    राम जेठ मलानी के मवक्कल (मुवक्किल )श्री अमर सिंह न तो गूंगे हैं ओर न ही अपढ़ ,लिख सकतें हैं फिर राम -जेठमलानी एक सामान्य वक्तव्य क्यों दे रहें हैं ?
    वकील का काम सामान्य वक्तव्य देना नहीं है ओर न ही अफवाह फैलाना .अपने मुवक्किल के मुंह से कहलवाएं जो भी कहना चाह रहें हैं या अगर वह गूंगा है तो उसका लिखा दिखाएँ ।
    अमर सिंह जी बतलाएं 'सांसदों की खरीद फरोख्त के लिए उन्हें पैसा किसने दिया ',उनकी जान सारे राष्ट्र को प्यारी हो जायेगी .राम जेठ मालानी भी अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप सबसे ऊपरले पायेदान पर पहुँच जायेंगें जन प्रियता ओर राष्ट्र प्रियता के ।
    अमर सिंह जी के सीरम क्रितेनाइन लेविल के खतरनाक स्तर तक बढ़ने की इत्त्ल्ला ओर इस बिना पर उन्हें ज़मानत देने की पेशकश यदि वह एक व्यक्ति के रूप में कर रहें हैं तो इसका स्वागत होना चाहिए लेकिन अगर वह ऐसा एक वकील के नाते कर रहें हैं तो अपने मुवक्किल से सच कहलवाएं -भाई !अमर सिंह जी आप तो लाभार्थि नहीं हैं ,लाभार्थि कोई ओर है आप कृपया बतलाएं आपको ये पैसा किसने दिया था .इस राष्ट्र की आप बड़ी सेवा करेंगें यह सच बोलके ,यह किस्मत ने आपको एक विधाई क्षण दिया है ,राष्ट्र सेवा का ,अपनी जान बचाने का .

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  5. आपकी प्रतिभा अद्वितीय है।

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