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Tuesday, 13 September 2011

पर सरकार बचा ले कोई

आलू   यहाँ   उबाले   कोई  |
बना  पराठा  खा  ले  कोई ||

तोला-तोला ताक तोलते,
सोणी  देख  भगा  ले कोई |

जला दूध का छाछ फूंकता
छाछे जीभ जला ले कोई |

जमा शौक से  करे खजाना
आकर  उसे  चुरा ले कोई ||

लेता  देता  हुआ  तिहाड़ी
पर सरकार बचा ले कोई ||

"रविकर" कलम घसीटे नियमित
आजा  प्यारे  गा  ले  कोई ||

7 comments:

  1. गीत अनोखा गाया हमने, अब तो खुशी मना ले कोई

    हिंदी दिवस की शुभ कामनाएं !

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  2. सरकार बस इन तिहाडियों की ही कृपा से बची हुयी है ... अमर, राजा कलिमौझु इनके वोट न होँ तो कांगेस क्या करेगी ...

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  3. देश के गद्धार बचा ही लेंगे।

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  4. छोटी पंक्तियों में बड़े-बड़े भाव. अति सुंदर.

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