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Thursday, 22 September 2011

शुभकामनाएं

संदीप जी (जाट देवता ) के जन्म दिन पर 
समर्पित रचना

अक्कड़-बक्कड़  बम्बे-बो, अस्सी    नब्बे    पूरे    सौ ||

अक्षय  और  अनंत  ऊर्जा  का, शाश्वत   भण्डार   सूर्य  हो |
मत्स्य-भेदते द्रुपद-सुता के, स्वप्नों के प्रिय-पार्थ-पूर्य हो || 

घुमक्कड़ी   के   संदीपक  हो,  मित्रों  ने  पाया  उजियारा |
परिक्रमा  सारी  दुनिया  की, दुर्गम-दुर्धुष  सा  व्रत  धारा ||

पञ्चम-स्वर की चार-श्रुति में, तीजी श्रुति संदीपन से तुम | 
सागर सर नद तट कौतूहल, मठमंदिर वन-उपवन से तुम ||


पर्वत  के  उत्तुंग-शिखर  पर, मानवता  का  ध्वज  फहराते |
तप्त-मरुस्थल  पर  गर्वीले, अपने  विजयी  कदम  बढाते ||

प्रकृति सुंदरी के दर्शन हित, निकल पड़ें जैसे  फटती पौ |
अक्कड़ - बक्कड़  बम्बे-बो,  अस्सी    नब्बे    पूरे    सौ ||

2 comments:

  1. जन्मदिन पर हमारी भी शुभकामनायें !

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  2. संदीप जी (जाट देवता ) को हमारी भी शुभ कामनाएं । आपकी काव्य बधाई सुंदर लगी ।

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