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Friday, 1 July 2011

म्याऊँ के सर ताज है.
सुअर  करे दिन रात सफाई, गधे खुरों से सड़क पाटते |
नगर  सुरक्षा  कुत्ते  करते  भौंक- भौंक के रात काटते|
चोर - उचक्के - पाखंडी  लोगो  को ऐसी डांट डांटते |
गिड़-गिड़ करके भीख मांगते, गिर-गिर करके चरण चाटते--
कहते इसमें राज़ है |
म्याऊँ के सर ताज है ||
                   
                  जाति-प्रथा मजबूत यहाँ पर संस्कार सोलह होते |
                   हंसे लोमड़ी कसे व्यंग खर औ सियार दर दर रोते |
                   न्याय निराले काले भालू वादी-प्रतिवादी-दर पोते |
                   लड़ते - भिड़ते  उमर  काटते अंत दोऊ दीदा खोते --
                   न्याय बिधा पर नाज़ है |
                   म्याऊँ के सर ताज है ||

कहीं  भाग्य  से  टूटे  छींके, छींके  यहाँ  तोडती  बिल्ली |
चौबिस  चूहे  घंटी लेकर  कहते  बहुत  दूर  है  दिल्ली  |
हदबंदी की गीदड़ भभकी, मिलती बिना तेल की तिल्ली  |
नलबंदी पर खास जोर है  दो  से  हद  पिल्ले या पिल्ली  |
कहने में क्या लाज है |
म्याऊँ के सर ताज है ||
                  
                 नहीं  तराजू  बाँट  यहाँ पर, बन्दर बंदरबांट बांटते  |
                 चूहों ने है भरी तिजोरी मोलभाव बिन मॉल छांटते |
                 ऊन छोड़ खादी को पहने, भेड़-भेड़िया खीर चाटते |
                 देशी घी के कटे पराठे , सम्मलेन में  सांठ  गांठते  |
                 युवा मंच नाराज़ है |
                 म्याऊँ के सर ताज है ||

यहाँ टाइगर खेती करते सीमा पर चीते रहते |
शीत लहर लू वर्षा सहते विपदा में जीते रहते |
सिंह यहाँ का बना मुखौटा, सदा उसे सीते रहते |
नस्ल यहाँ हाथी सफ़ेद की दारू-रम पीते रहते--
बाज न आता बाज है |
म्याऊँ के सर ताज है ||

               गंधी इत्र चित्र कंगारू दारू ब्लैक  हार्स  का धंधा |
              चम्गीदर आडिओ-वीडियो उल्लू करे टार्च को अँधा |
              गाय डालडा घी निर्माता बैल बोझ ढोने का धंधा  |
              भैंसा बैठा करे सवारी साम्यवाद का छिलता कंधा--
              प्रतिबंधित आवाज है |
              म्याऊँ के सर ताज है ||

चुगुल-खोर चालक लोमड़ी कुत्तों की अच्छी यारी |
उल्टा सीधा छपने पर, सरे आम पिट जाये बिचारी.
रट्टू  तोते  पाठ  रटाते  बना  तरीका  सरकारी   |
बकरे की माँ खैर मनाये तेज करे औजार शिकारी  --
कितना व्यथित समाज है |
म्याऊँ के सर ताज है ||

                 म्याऊँ की एक गाय दुधारू टैक्सों  का  है जो अधिकार |
                 पीने  को  पाती  सपरेटा   बछड़े   जाते    क्रीम   डकार  |
                 मोर-मोरनी डिस्को  करते    गाता  गधा  राग  मल्हार |
                 एक  मंच  पर  आना  होगा      कहते  सारे  रंगे  सियार |
                 जो कि मुश्किल आज है |
                  म्याऊँ के सर ताज है ||

ए जी टू जी महा घुटाले,  आदर्शवादी  नाम  है  | 
कामन वेल्थ में हेल्थ बनाए खेल नहीं संग्राम है |
आरक्षण की आग लगी इत, उधर नक्सली काम है |
रेल पटरियां कही तोड़ते कही रोड पर जाम है ---
सफ़र पे गिरती गाज़  है |
म्याऊँ के सर ताज है ||

                  शाही को शह मिली हुई है सरे आम देखे करतब |
                  कांटे चुभा-चुभा के चूसे मौका उसे मिले जब-तब |
                  खाना-पीना-मौज मनाना लगे हुए है बाकी सब   | 
                  म्याऊँ सोच रही गद्दी पर देख बिलौटा बैठे कब- 
                  क्या बढ़िया अंदाज़ है |
                  म्याऊँ के सर ताज है ||

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