इक्जाम की आदत गई, इकजाम का अब फेर है |
उस समय था काम पढना, अब, काम ही हरबेर है |
अंधेर है, अंधेर है ||
हर अंक की खातिर पढ़े, हर जंग में जाकर लड़े |
अब अंक में मदहोश हैं, बस जंग-लगना देर है |
अंधेर है, अंधेर है ||
थे सभी काबिल बड़े, होकर मगर काहिल पड़े |
ज्ञान का अवसान है, अपनी गली का शेर है |
अंधेर है, अंधेर है ||
न श्रेष्ठता की जानकारी, वरिष्ठ जन पर पड़े भारी |
जिंदगी की समझदारी, में बहुत ही देर है |
अंधेर है, अंधेर है ||
भाई वाह वाह क्या बात कही -रविकर जी आप ने एक शब्द अनेक अर्थ मजा आ गया
ReplyDeleteहर अंक की खातिर पढ़े, हर जंग में जाकर लड़े |
अब अंक में मदहोश हैं, बस जंग-लगना देर है |
अंधेर है, अंधेर है ||
अब इसमें भी नजर लगाने लगे
भ्रष्टाचार के बाद -अब अंक में रहना भी नहीं सुहा रहा ?
हर अंक की खातिर पढ़े, हर जंग में जाकर लड़े |
ReplyDeleteअब अंक में मदहोश हैं, बस जंग-लगना देर है |
अंधेर है, अंधेर है ||
बहुत बढ़िया .....
अरे वाह...शब्दों से कमाल किया है आपने...बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteनीरज